दुर्घटना के बाद हाथ व पैर खोने से कैसे बचाएं - Complications and Cure of Fractures After Accident Information and treatment in Hindi

हाथ पैर के बिना शरीर किसी कम का नहीं, यदि किसी दुस्र्घतना में व्यक्ति के हाथ पैर श्रतिग्रस्त हो जाए तो उन्हें खोने से कैसे बचाया जा सकता है, आइये जानते है!

Complications and Cure of Fractures After Accident-  Information and Treatment in Hindi
आए दिन अखबारों में यह पढने को मिलता है की अमुक नवयुवक या नवयुवती को सड़क दुर्घटना में अपनी तंग व हाथ गवाना पड़ा, क्योंकि उन्हें दुर्घटना में टांग या हाथ की हड्डी का फ्रेक्चर हो गया था! कभीकभी यह भी सुनने में आया होगा की ऊंचाई से गिरने के बाद शरीर में काफी छोटे आई, अस्पताल में इलाज के बड जान तो बाख गई पर हाथ या पैर ठन्डे पड गए तो उन्हें काटना पड़ा!

अतंकवादियो द्वारा किये गये बम विस्फोटो की चपेट में आए ज्यादातर की जान चली जाती है, अगर इन में कुछ बच भी गए तो शरीर के किसी न किसी अंग से उन्हें हाथ खोना पड़ जाता है, युवावस्था में हाथ या पैर गवाना पड़े तो सारी जिंदगी बोझ लगती है!

क्या आप ने विभिन्न दुर्घटनाओं में तंग या हाथ खो जाने की घटना के कारणों पर विचार किया की ऐसा क्यों होता है? क्या आप या मान व्हुके है की सड़क दुर्घटना में होने वाले टांगो या हाथ के फ्रेक्चर के बाद उन्हें गवां देना कोई आश्चर्यजनक नहीं है!

टांग या जांघ की हड्डी के फ्रेक्चर को प्लास्टर या स्टील की छडो से फिक्स कर देने के बाद भी टांग कटवानी पद जाती है, खाली फ्रेक्चर हो जाने से टांग काटने की संभावना बहुत कम रति है, यहाँ यह समझ लेना बेहद जरूरी है की शरीर के अन्य अंगो की तरह टांगो को जिन्दा रखने के लिए रक्त की निरंतर सप्लाई बहूत जरूरी है, रक्त की आपूर्ति बंद हो जाने पर पैर व हाथ निर्जीव हो जाते है और निर्जीव होते हुए हाथ व टांग में हड्डी के फ्रेक्चर को जोड़ने का क्या फायदा, समय व पैसे की बर्बादी के साथ साथ कटे हुए अंग को सौगात!

हड्डी के फ्रेक्चर के साथ धमनी पर भी ध्यान दें 

Haddi Ke Fracture Ke Saath Dhamni Par Bhi Dhyan Den,
दुर्घटना में हाथ व पैर की हड्डियों के फ्रेक्चर के साथ ही इन अंगो को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनिया भी श्रतिग्रस्त हो जाती हैं, आप को यह जान कर शायद आश्चर्य होगा की भारत में धमनी चोट के मरीजो में लगभग 50% लोगों को हाथ व पैर कटवाने पड़ते है, जबकि यूरोपीय व विकसित देशों में धमनी चोट में केवल 4% लोगों को ही हाथ पैर गवाने पड़ते है!

दुर्घटना के बाद भी अगर हड्डी में फ्रेक्चर के साथ धमनी श्रतिग्रस्त है तो तुरंत कुछ घंटों में भी मरम्मत का ज्यादा फायदा नहीं होता, क्योंकि पैरों व हाथ की मास्पेशियों को अगर 8 से 9 घंटे तक शुद्ध रक्त न मिले तो मासपेशियां स्थाई रूप से काम नहीं करती है, तब धमनियों की मरम्मत यानि सर्जरी का कोई लाभ नहीं मिलता है!

हड्डी के फ्रेक्चर, अगर 24 घंटे में भी न फिक्स हो, तो कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है, पर हड्डी चोट के साथ साथ अगर धमनी चोट भी है, तो दुर्घटना के बाद एकएक मिनट महत्वपूर्ण हो जाता है!

हड्डी के फ्रेक्चर की सर्जरी Surgery of Bone Fracture

Haddi Ke Frecture Ki Surgery aur Upay
हड्डी के फ्रेक्चरकी सर्जरी में टूटे भाग में स्टील की सलाखों व पिन ठोकते वक्त, पास की धमनी श्रतिग्रस्त हो जाती है जिस से हाथ व पैर को जाने वाली शुद्ध रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है, इस के परिणामस्वरुप टांग व हाथ की मांसपेशियाँ निर्जीव हो कर मृत हो जाती है, ऐसी परिस्थिति में धमनी की श्रतिग्रस्तता का आभास होते ही, धमनी पुनर्निर्माण या मरम्मत की प्रक्रिया किसी कार्डियोवेस्कुलर सर्जन से शुरू करा देनी चाहिए, ऐसा समय रहते न कराने से हाथ व पैर के बचने की थोड़ी सी बची हुई आखरी संभावना भी समाप्त हो जाती है!

कभी-कभी हड्डी के फ्रेक्चर की सर्जरी में खासतौर से बोन प्लेटिंग के दौरान रक्त प्रवाह को अस्थाई रूप से रोकने के लिए जांघ व कंधे के पास बांह में एक रब्बर का बैंड बाँधा जाता है, इस बैंड के बाँधने से सर्जरी के दौरान रक्तस्राव कम होता है पर कभी कभी जब बैंड ज्यादा टाइट हो जाता है या निर्धारी समय से ज्यादा लगातार बंधा रहता है तो धमनी में खून के थक्के जमा हो जाते है, जो हाथ या पैर में रक्त प्रवाह को रोक देते है, ऐसी दशा में तुरंत किसी वैस्कुलर या कार्डियोवैस्कुलर सर्जन को बुला कर धमनी को खोल कर उस की सफाई करवानी पड़ती है, ऐसा ना होने पर, हड्डी की प्लेटिंग के बाद भी हाथ या पैर खो देने की आशंका बढ़ जाती है!

हाथपैर खोने में टाइट प्लास्टर भी एक कारण - Plaster in Fracture

Hath Pair Khone Me Tight Plaster bhi Ek Karan Ho Sakta Hai.
हाथ व पैर की रक्त सप्लाई बंद हो जाने का एक दूसरा प्रमुख कारण हड्डी के फ्रेक्चर में प्लास्टर का जरूरत से ज्यादा टाइट होना है, टाइट प्लास्टर हाथ या पैर की रक्त धमनियों को इतना ज्यादा दबा देना की शुद्ध रक्त की आपूर्ति बंद सी हो जाती है!

हड्डी के फ्रेक्चर है तो आप क्या करें -Bone Fracture How To Treat

Haddi Ka Fracture Hai to Kya Karna Chahiye.
  • हमेशा ऐसे अस्पताल में जाएँ, जहाँ हड्डी विशेषज्ञ के साथ साथ वेस्कुलर या कार्डियोवैस्कुलर सर्जन की उपलब्धता हो, याद रखें हड्डी की चोट जानलेवा इमरजेंसी नहीं होती है, पर धमनी की चोट के इलाज में देरी, हाथ या पैर खो देने का सीधा पासपोर्ट है!
  • फ्रेक्चर के मरीज इधर-उधर समय न बर्बाद करें बल्कि सीधा किसी आधुनिक बड़े अस्पताल में पहुचने की कोशिश करें जहाँ आधुनिक जांच की सभी सुविधा उपलब्ध हो!
  • फ्रेक्चर वाले हिस्से में अगर हाथ व पैर की उंगलिया ठंडी पड रही है तो आप अपने अस्थि विशेषज्ञ से जोरदार शब्दों में प्रार्थना करें की वह किसी कार्डियोवैस्कुलर या वेस्कुलर सर्जन को बुलवा कर उन की राय जरूर लेलें!
  • अगर आप के हड्डी के फ्रेक्चर में प्लास्टर चढ़ने के बाद हाथ या पैर की उँगलियाँ ठंडी पड़ने लगें या झनझनाहट शुरू हो जाए तो तुरंत किसी कार्डियोवैस्कुलर व वेस्कुलर सर्जन से संपर्क करें, अपने अस्थि विशेषज्ञ के पास जा कर प्लास्टर को या तो ढीला करवा लें या फिर थोडा करवा लें! प्लास्टर के बाद उंगलियों में ठंडापन व झनझनाहट यह इशारा करता है की या तो छिपी धमनी में चोट है, जो नजरअंदाज हो गई है या फिर टाइट प्लास्टर की वजह से धमनी पर अनावश्यक दबाव पड़ने से खून का बहाव रुक गया है, ऐसी परिस्थितियों में हाथ पर हाथ धर के ना बैठें!
  • अगर आप के परिवारजन यह पाते है की ऑपरेशन के बाद, उसी हिस्से की हाथ या पैर की उँगलियाँ ठंडी या सुन्न या नीली पद रही है तो तुरंत आप अपने हड्डी विशेषज्ञ से आग्रह करें की किसी जनरल सर्जन के बजाय किसी योग्य कार्डियोवैस्कुलर या वेस्कुलर सर्जन को जरूर दिखवा दें, ताकि समय रहते हाथ या पैर में खून की सपलाई बहाल की जा सके!
  • अगर हड्डी जुड़ने के बाद भी हाथ या पैर की उँगलियों में झनझनाहट या हल्का दर्द या सुजन बनी रहती है तो एक बार किसी कार्डियोवैस्कुलर या वेस्कुलर सर्जन को अवश्य दिखा लें, जिससे गुम धमनी की चोट नजरअंदाज ना हो जाए!