कंडोम का प्रयोग कैसे करे, कंडोम का इस्तेमाल करने का तरीका How To Use Condom

कंडोम कैसे प्रयोग करें और उसे पहनने का सही तरीका क्या है और इससे सुरक्षा के सुझाव! इस रोचक और सेक्सी बनाए! How to use and wear condom before making relationship. Its looks natural do not harm or affect body parts and sexual fun.

  1.  सबसे पहले कंडोम के पैकेट को किनारे से फाड़ें, घ्यान रखें कंडोम बहूत लचीला होता है इसलिए सावधानी से फाड़ें किसी भी कैंची या ब्लेड का प्रयोग करने से बचें, इसे फाड़ने से पहले देख लें की कही कंडोम की पेकेट की डेट एक्सपायर तो नहीं हो गई है! अगर तिथि निकल गई हो तो उसका प्रयोग करने की जरूरत नहीं है!
  2. ध्यान रखे की कंडोम किस तरफ से खुल रहा है अगर आप उलटी तरफ से इसे चढाने की कोशिश करेंगे तो वो आपके अंग पर चढ़ेगा नहीं और यदि गलती से आपने उसे अपने अंग पर चढ़ा लिया है तो उसे निकल कर फैंक से और दूसरा इस्तेमाल करें!
  3. इसके सिरे को अपनी उंगलियों से दबा कर उसके बीच की हवा निकल दे जिससे उसमे वीर्य के इकट्ठा होने के लिए जगह बनी रहे! यह देखने में ऊपर से किसी निप्पल के जैसे दिखेगा
  4. कंडोम के एक सिरे को पकड़ कर उसे अपने पूरी तरह तने हुए अंग पर चढ़ा लें!
How To Wear Condom

महिलाएं कंडोम कैसे पहने- How To Wear Female Condom?

  1. कंडोम लगाने के बाद कई स्त्रियों को अपने पहले ओर्गास्म का अहसास हुआ है!
  2. कंडोम के अन्दर दिखाई देने वाली रिंग को अपनी ऊँगली से दबाइए (छोटी वाली रिंग को), ऐसा करने पर उसके कोने एक दुसरे को आसानी से छु सकेंगे!
  3. अब अन्दर की रिंग को अपनी ऊँगलीयो से धकेलिए जितनी अन्दर वो जा सके फिर उसके बाद बड़ी वाली रिंग को बाहर को हो रखिये!
  4. अब अपने पार्टनर के लिंग को बहार वाली रिंग की ओर घुसने में पूरी मदद करें!
  5. शारीरिक संबंधो के पूरा हो जाने के बाद कंडोम को अपने हाथो से 3 से 4 बार एक दिशा में मोड़िए और फिर उसे बहार की तरफ निकल लेंने में साथी की मदद करें!

कंडोम का इस्तेमाल करने से फायदे और नकसान, Disadvantages And Benefits of Using Condom

हालाँकि इसमे कोई शक नहीं के लोग कंडोम का इस्तेमाल मजबूरी में करते है, अधिकतर लोग इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहते है, लोग इसके लिए कई प्रकार के तर्क और परेशानिया बताते है जो निम्न है,

कंडोम से होने वाली परेशानियाँ- Condom Ke Estemal Se Logo Ko Kya Pareshaniya Aati Hai

  1. इसके प्रयोग से संबंधो के दौरान उतना मजा नहीं आता जितना बिना कंडोम के इस्तेमाल के आता है!
  2. संबंधो के दौरान इसके प्रयोग के लिए लोग आलस कर जाते है!
  3. लोग सोचते है की हम और हमारा पार्टनर दोनों स्वस्थ है और हमें इसकी जरूरत नहीं है! हम दोनों को कोई बीमारी नहीं है इसलिए इसका इस्तेमाल क्यों करें!
  4. छोटी उम्र के लड़के और लडकिया बिना कंडोम के ही संबंधो को बनाने में अधिक संतुष्टि का अनुभव करते है!
  5. लोगो का सोचना है की इसके इस्तेमाल से दोनों पार्टनर का पूरी तरह मिलन नहीं हो पाता है!
  6. लोग अपने पैसे हमेशा इसके लिए खर्च नहीं करना चाहते है!
  7. लोगो को और पिछड़े वर्ग के लोग अभी इसके प्रति जागरूक नहीं है!
  8. लोगो का कहना है के ये कंपनियों का अपने प्रोडक्ट को बेचने का तरीका है और गवर्नमेंट को इससे बहुत टैक्स मिलता है इसलिए इसका प्रचार करके लोगो को बेवक़ूफ़ बना कर लूटा जा रहा है!
  9. कंडोम के इस्तेमाल और उसे क्रश करने के झंझट से लोग बचने के लिए भी इसका प्रयोग नहीं करते है!
  10. लोग इसके इस्तेमाल में अपना मजा और समय ख़राब नहीं करना चाहते है!

Condom Kaise Estemal Karen-Use of Condom

हालाँकि लोगो के इस प्रकार के तर्क देना और उन्हें होने वाली इस प्रकार की समस्या काफी हद तक सही भी है! लेकिन इन सब के बावजूद कंडोम के फायदे को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है!, क्योकि जिस प्रकार आज के युग में लोग अधिक से अधिक मात्रा में सम्बन्ध बनाने के प्रति बहूत अधिक सक्रिय होने लगे है, यहाँ तक की छोटी उम्र के बच्चे और व्यस्क भी अधिक से अधिक इसका आनंद लेंने लगे है जिसके कारण सेक्स से होने वाली बिमारियां भी उतनी तेजी से फ़ैल रही है, इन बीमारियों से बचने के लिए इसका इस्तेमाल करना और भी अधिक जरूरी हो गया है!

कंडोम के फायदे-Benefits of Condom Using. Eske Estemal Se Kya Fayde Hai

  1. इससे हर प्रकार की बीमारी से बचा जा सकता है और एक सुरक्षित सम्बन्ध बनाया जा सकता है!
  2. इसके प्रयोग से किसी भी प्रकार की हानी होने का खतरा लगभग न के बराबर है!
  3. यह किसी भी उम्र का व्यक्ति इस्तेमाल कर सकता है
  4. इसका प्रयोग करना बहुत ही सरल और सुरक्षित है
  5. एड्स, व गुप्त रोग जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा नहीं रहता है!
  6. इसके प्रयोग से आनंद में मामूली सा फर्क ही आता है!
  7. कंडोम कई प्रकार के फ्लेवर और डिजाईन में भी कंपनिया बनाने लगी है जिससे व्यक्ति को अधिक आनंद की अनुभूति हो!
  8. कंडोम के जरिये अनचाहे गर्भ से भी बचा जा सकता है और बिना डर के कितनी बार भी शारीरिक सुख प्राप्त कर सकते है!

कंडोम से समाज में बदलाव और नुकसान-Lose of Using Condom. Condom Se Kya Nuksan Hota Hai

  1. हालाँकि अब कंडोम के इस्तेमाल और प्रचार के चलते स्कूल के बच्चे, कॉलेज स्टूडेंट, और कम उम्र के युवा और व्यस्क लोग सभी अधिक मात्रा मेंसेक्स करने लगे है! बच्चे तक कंडोम के चलते संबंधो में अधिक रूचि लेने लगे है जिससे संस्कृति और समाज दोनों का नाश तेजी से होने लगा है!
  2. अब लोग किसी से भी बिना डरे कितनी भी बार सम्बन्ध बनाने लगे है!
  3. कंडोम के प्रयोग और आसानी से मुफ्त उपलब्ध होने की वजह से हर उम्र के लोग गुप्त रोग और एड्स जैसी बीमारियों के प्रति बेपरवाह हो गए है और किसी से भी कभी भी सम्बन्ध बनाने लगे है, लोग ओरल और अनल जैसे संबंधो में भी अधिक मात्रा में रूचि ले रहे है और लोग भूल रहे है की कंडोम को हर जगह नहीं लगाया जा सकता है! जिसकी वजह से ये बिमारियां बड़ी तेजी से फैलने लगी है! हाल ही में हुए एक अनुमान और सर्वे के अनुसार 10 में से हर 4 व्यक्ति एड्स की चपेट में आ रहें है और लोग अपनी जिंदगी गवा रहे है! 
  4. कंडोम का इस्तेमाल सभी उम्र के लोग खासकर स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंटस संबंधो का मजा लेने के लिए इसका प्रयोग करने में सबसे आगे है जिसकी वजह से उनकी पढाई में बाधा आने लगी है और समाज में अधिकतम संस्कृति और सभ्यता का नुकसान हो रहा है!
  5. लोग संबंधो को केवल मजा करने के लिए इस्तेमाल करने लगे है और अब लोग सेक्स संबंधो के चलते सामाजिक संबंधो और रिश्तो को सेक्स के लिए इस्तेमाल कर रहे है जो किसी भी सभ्यता को बहुत हानी पंहुचा सकती है!
  6. जहाँ लडकियां पहले किसी पराये मर्द या पुरुष से सम्बन्ध के बारे में सोचती भी नहीं थी वही अब कंडोम के कारण वो कई लोगो से सम्बन्ध बनाने में भी नहीं हिचकिचाती है! और यही हाल पुरुषों का भी है!
  7. अक्सर सुनने में आता है की 9-10 साल के स्टूडेंट ने स्कूल में किसी लड़के व लड़की से शारीरिक सम्बन्ध बना लिए है! 
  8. कंडोम का विज्ञापन हर समय टी.वी चैनल्स पर और इन्टरनेट पर अक्सर समान्य धारावाहिक या फिल्मो के दिखने के वक़्त जब बच्चे देखते रहते है आता रहता है जिससे उनके मन मे इसे इस्तेमाल करने और जानने की उत्सुकता बढ़ जाती है और इसके चलते वो स्कूल और दोस्तों के साथ कंडोम के जरिये सम्बन्ध बनाने की चेष्टा करने लगे है और पढाई से दूर जाने लगे है!
  9. लोग और माता पिता अपने बच्चो के सामने भी आलिंगन होने में परहेज नहीं करते है जिससे बच्चो में इसके प्रति अधिक उत्सुकता होने लगी है और वो भी इसे करने की कोशिश में किसी न किसी से सम्बन्ध बना बैठते है!
  10. कंडोम खरीदने वालो में सबसे ज्यादा 85 प्रतिशत टीनएजर्स (12-19 वर्ष) और 20-25 साल के युवा लड़की लड़के होते है!
इससे यही समझ में आता है के जहाँ इसके प्रयोग से बीमारियों और अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है वही इसके प्रयोग और प्रचार से छोटी उम्र के मासूम बच्चे भी शारीरिक सेक्स संबंधो में पड़कर समाज, संस्कृति को बर्बाद कर रहे है और साथ में अपना भविष्य भी गवां रहे है इसके चलते समाज में अधिक मात्रा में शारीरिक शोषण और शारीरिक व्यापार में बहूत अधिक उछाल आया है जो देश की बर्बादी का सूचक है!

आईसी या पीवीसी रोग के लक्षण और इलाज- IC ya PVC Rog Ke Lakshan Aur Eska Ilaj Ka Tarika

ये महिलाओ को होने वाला एक दुखदाई रोग है जो स्त्रियों के लिए एक बड़ी समस्या है! आईसी या पीवीसी रोग से पीड़ित महिलाओं में पायें जाने वाले 3 कॉमन लक्षण निम्न है:

  1. ब्लेडर पेन, असुविधा अथवा भारीपन का एहसास ब्लैडर पेन के अलावा या दर्द महिलाओं की योनी के आसपास के अन्य हिस्सों, मसलन लोअर एब्डोमेन और कुल्हे की हड्डियों के नीचे भी हो सकता है! यह दर्द आताजाता रह सकता है अथवा स्थाई तौर पर महसूस किया जा सकता है! यह दर्द ब्लैडर के भरे रहने पर बहुत ज्यादा हो सकता है और मूत्रत्याग करने पर ही इस दर्द में कमी आती है!
  2. मूत्र त्याग करने की आवश्यकता कभी कभी प्रत्येक घंटे में या उस से कम देर में महसूस होती है!
  3. मूत्र को त्यागने की जल्दी होती है! ये तीनो लक्षण सहवास की अवधी में अथवा उस बाद अक्सर बहुत बढ़ जाते है, यह समस्या निद्रा, कार्य, सामाजिक गतिविधियों तथा जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है!
आईसी से पीड़ित कुछ महिलाएं बाथरूम न उपलब्ध होने के भय से बाहर निकलने से कतराती है! उन्हें लगता है की जब वह कामकाज पर अथवा किसी सामाजिक अवसर पर जाएँगी तो उनका दर्द असहनीय हो जायेगा! एक बार जब आईसी की डायग्नोसिस हो जाती है तब डॉक्टर इस के उपचारों के विकल्पों पर चर्चा करने लगते है!

आईसी रोग का कारण अभी तक अज्ञात है कुछ अनुसंधानकर्ताओं ने हाल में ही एक तत्व एंटी प्रोलिफ्रेटिव (एपीएफ) का पता लगाया है जो कुछ अपवादों को छोड़ कर केवल महिलाओं के मूत्र में आईसी के साथ पाया जाता है, एन का मानना है की एपीएफ मूत्र थैली के अस्तर और सुरक्षा झिल्ली की कोशिकाओं के विकल्प को अवरुद्द कर आईसी के प्रकोप को बढ़ावा देता है!

ध्यान में रखने वाली बात यह है की इस रोग से सम्बंधित उपचार का असर होने में काफी समय लगता है! और इस रोग के लिए रोगी को घैर्य रखने की आवश्यकता होती है! अनेक महिलाएं इस बात से काफी संतोष महसूस करने लगती है की उन के लक्षणों की जानकारी के आधार पर उपचार संभव हो सकता है! लेकिन जब सुधर प्रक्रिया में दोनों अथवा महीनो तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, तो वे काफी हतोत्साहित हो जाती है! आज के समय में आईसी का कोई निदान नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे उपचार है जिस से इस के लक्षणों में चमत्कारी तरीके से सुधार हो सकता है!

आईसी या पीवीसी रोग का उपचार क्या है?

डाइमिथाइल सल्फ़आक्साइड (डीएमएसओ): यह एफडीए द्वारा अनोमोदित तरल रसायन है जिसे अक्सर अन्य दवाओं के साथ मिला कर एक सॉफ्ट रबर ट्यूब (कैथीटर) के जरिए मूत्र थैली में सीधे प्रवेश करा दिया जाता है और लगभग 15 से 30 मिनट के बाद प्राकृतिक मूत्र के रूप में उत्सर्जित कर दिया जाता है! ऐसा मन जाता है की इस प्रक्रिया से यह ब्लैडर वॉल एम्फ्लेमेंशन को सीधे तरीके से कम कर देता है, दर्द में कमी लाता है और ब्लैडर की मॉसपेशियो को संकुचित होने से बचाता है!

उपचार की पुनरावृत्ति हर सप्ताह 1 से 2 बार और 6 7 सप्ताह तक होती रहनी चाहिए! डीएमएसओ पहली बार प्रयोग करने पर यह ब्लैडर में काफी हलचल पैदा करता है और वास्तव में अगर देखा जाए तो ब्लैडर की पीड़ा इस के शुरुआती उपयोग करने के बाद बहुत बढ़ जाती है! और मूत्र त्याग करने की संख्या में भी वृद्धि हो जाती है! लेकिन उपचार की उत्तरावस्था में यह धीरे-धीरे ठीक होने लगता है और इस के लक्षणों में काफी सुधर हो जाता है!

हस्तमैथुन मुट्ठ मारने से क्या नुक्सान है- HastMaithun Se Kya Nuksan Hota Hai Hindi Me

हस्तमैथुन को मुठ मारना भी कहा जाता है, (Hastmaithun ko muth marna bhi kaha jata hai) आजकल अधिकतर जगहों पर युवाओं में ये भ्रान्तिया फैलाई जा रही है की हस्तमैथुन से कोई भी नुक्सान नहीं होता बल्कि इससे बहुत लाभ होता है! तो आइये जानते है की:

हस्तमैथुन के क्या नुकसान हो सकते है? Hastmaithun Ke Kya Nuksan Hai?

पिछले कुछ दशको से अधिकतर युवाओं में देखने में आ रहा है! की इससे होने वाली समस्याओ से ग्रसित रोगी युवाओं की संख्या दिनों-दिन बढती जा रही है!
  • पहले तो आप ये जान ले की अधिकतर मामलो में सेक्सोलोजिस्ट, हॉस्पिटल और वैध के पास जाने वालो में 18 से 30 साल की उम्र के वो युवा होते है जो अक्सर हस्तमैथुन अर्थात मुठ मारते है! 
  • पिछले कुछ दशको से हमारे देश में सेक्स को बहुत अधिक मात्रा में प्रचलित किया जा रहा है! और लोग इसके नुक्सान को नजर अंदाज करते हुए सेक्स का हमेशा मजा लेना चाहते है! जो खतरनाक होता जा रहा है!
  • विज्ञापनों में अधिकतर हस्तमैथुन के कारण शरीर को हुए नुकसान के रोगीयो से सम्बंधित प्रचार ही होते है!

लडको को हस्तमैथुन से होने वाले नुक्सान

अक्सर हस्तमैथुन करने से शरीर इसका आदि हो जाता है जिसकी वजह से व्यक्ति रोजाना या दिन में कई बार करने लगता है! हस्तमैथुन करने से हथेली की मजबूत पकड़ और उसकी गर्मी की वजह से लिंग में समय के साथ मोटापन विकसित नहीं हो पाता! मुठ मारने से लिंग में हल्का या थोडा भी घर्षण लगने पर अक्सर इसमे उत्तेजना होने लगती है! 30-35 साल की उम्र तक पहुचते पहुचते लिंग में तनाव आना कम होने लगता है, धातु रोग हो जाता है!

अधिक हस्तमैथुन करने वाले युवको में अक्सर देखा गया है की आगे चलकर उनके लिंग में तनाव आना बहुत कम हो जाता है! युवक स्त्री के समक्ष ज्यादा देर टिक नहीं पाते है! और पलभर में ही शांत हो जाते है! अधिक मात्रा में करने से 22 से 27 साल की उम्र में ही धातु रोग होने की सम्भावना 90% तक बढ़ जाती है!
  • अधिक मात्रा में मुठ मारने वाला युवक अक्सर बिस्तर में महिला को संतुष्ट नहीं कर पाता है! शास्त्रों में इसीलिए भ्रमचर्या के पालन के बारे में जोर दिया गया है!
  • मूत्र त्याग के समय लिंग से धातु चिपचिपे और तारयुक्त प्रदार्थ के रूप में गिरने लगता है! जो धातु रोग की निशानी है!
  • युवा अक्सर स्खलन से समय लिंग को दबाकर रोकने की कोशिश करते है जो जिससे लिंग की नसे और लिंग को बहुत नुकसान पहुचता है! स्खलन को कभी रोकना नहीं चाहिए!
  • अधिकतर हस्तमैथुन करने वाले युवको को आगे चलकर लिंग में स्खलन के बाद दर्द का अनुभव होता है और एक बार स्त्री से सम्भोग करने के बाद दोबारा उसमे उत्तेजना आने में कई घंटे लग जाते है!

उपाय और बचाव क्या है?

  • कामोत्तेजना अगर अधिक परेशां करे तो अपना ध्यान अच्छो किताबो को पढने में या किसी दुसरे काम में लगाए!
  • आयुर्वेद के अनुसार कामोत्तेजना अधिक होने पर 3 चम्मच धनिया रात में पानी में भिगोकर सुबह पानी छानकर एक बार रोज पियें! कुछ समय तक ये प्रयोग जरूर करें जरूर लाभ होगा!
  • हमेशा कामुक विचारो से बचे और उत्तेजक बातों पत्र- प्रतीकाओं व फिल्मो से दूर रहे! 
  • व्यायाम और ताड़ासन करें! पंजो के बल खड़े होकर अपने हाथ सीधे ऊपर की तरफ खीचे इससे बहुत लाभ होगा!
  • फ़ास्ट फ़ूड, पिज्जा, बर्गर, मसालेदार, तीखा इत्यादी भोजन व सेवन करने से भी उत्तेजना बढती है! अगर फिर भी आपको उत्तेजना अधिक महसूस होती है, तो आप कभी-कभी (महीने में एकाध बार, ) हस्तमैथुन का सहारा ले सकते है!

इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस महिलाओं का दुखदाई रोग है- Interstitial Cystitis IC Painful Disease of Ladies Girls in Hindi

35 साल की रचना कई दिनों से अपने योनी प्रदेश में दर्द महसूस कर रही थी, इस दौरान उसे बर्बर मूत्र त्याग करने की इच्छा भी होती थी! कभी कभी पीड़ादायी सहवास की स्थिति से भी उसे गुजरना पड़ता था उसे को इस परेशानी ले बढ़ने पर उसे किसी ने युरोलोजिस्ट से मिलने की सलाह दी, जहाँ जाने पर उस का पूरा चेकअप करने पर डॉक्टर ने उसे' इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस' यानि (आईसी) से पीड़ित बताया!

इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस कष्टकारक रोग स्त्रियों Interstitial Cystitis IC Painful Disease

देखा गया है की महिलाएं लम्बे समय से ब्लेडर कंडीशन से पीड़ित है, जिसे इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस कहते है, यह पेनफुल ब्लेडर सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है! इस बारे में जब जीवराज मेहता अस्पताल अहमदाबाद के यूरोलोजिस्ट कंसल्टेंट डॉक्टर नागेन्द्र निश्रा से बातचीत की गई तो उनका कहना था की "कुछ बिमारियों में डायग्नोसिस (Diagnosis) काफी मुश्किल होती है, इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस उन में से एक है,
'आई सी' से पीड़ित महिला की कार्य श्रमता में कमी, नींद में अनियामीतता व जीवन में अरुचि उत्पन्न होने लगती है!

एक समय था जब लोगो को उने के यौन प्रदेश में होने वाले निरंतर दर्द का कारण काल्पनिक या अवसाद ग्रस्त होना बताया जाता था, लेकिन अनुसन्धान के बाद इस समस्या को अब आईसी के रूप में चिन्हित किया गया है, आईसी से सम्बंधित मामलों में चिकित्सको को जो बात सब से अधिक चुनौतीपूर्ण लगती है वह है, रोग के कारणों की अज्ञानता और किसी विशिष्ट डायग्नोसिस टेस्ट का न होना, इस रोग को अक्सर यूरीन ट्रैक इन्फेक्शन के साथ मिसडायग्नोस किया जाता रहा है!

यदि आईसी का पता नहीं लगाया जाता है और माकूल इलाज नहीं किया जाता है तो इस से महिलाओं में निश्चित रूप से कार्य श्रमत में कमी, नींद में अनियमितता, पारंपरिक देखभाल के प्रति अनिच्छा और सामान्य पारिवारिक सामाजिक जीवन में घोर अरुचि का लक्षण प्रकट होता है! आईसी के विषय में सब से महत्वपूर्ण बात यह है की इस बीमारी का इलाज है, समुचित सुचना परामर्श और सहयोग के जरिये रोगी आईसी की पीड़ा से आराम पा सकते है!

इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस के लक्षण और इलाज के उपाय- Interstitial Cystitis IC Treatment and Diagnosis in Hindi

सुन्दर संतान प्राप्त करने के लिए To Have Beautiful and Healthy Baby Try this Remedy

हर स्त्री और पुरुष चाहते है की उन्हें सुन्दर और तेज दिमाग वाली संतान की प्राप्ति हो और वो एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे जिससे उसे किसी भी प्रकार का रोग न सताए!

Sundar Santan Prapt Karne Ke Liye Upay Karen


इसके लिए नव दम्पति कई प्रकार के उपाय अपने की कोशिश भी करते है लेकिन उन्हें सफलता तभी मिल सकती है जब वो उपाय सही हो और कोई नुक्सान पहुचने वाली न हो! में आज आपको ऐसे ही कुछ अचूक और आसान उपाय बता रही हूँ, और आप अपनी समस्या के लिए ये उपाय जरूर करें!

  • 1 ग्राम असली वंशलोचन चूर्ण को रोज रात में सोने से पहले लेना चाहिए! ऐसा नित्य पहले 3 से 4 महीने तक दूध के साथ नियम से लेने पर बच्चा सुन्दर, स्वस्थ और तेज दिमाग वाला पैदा होता है!
  • बच्चे की माँ का स्वस्थ भी अच्छा रहता है और शरीर ताकतवर बनी रहती है! और माँ को गर्भपात का डर भी नहीं रहता है!
  • साथ में यदि नारियल की गिरी और मिश्री के साथ चबाकर खाई जाए तो बच्चे का रंग गोरा होगा और बच्चा सुन्दर व तंदरुस्त होगा! ऐसा करने से माँ के शरीर में होने वाली कमजोरी भी दूर होगी!
  • गर्भवस्था के समय रोजाना भोजन करने के बाद सौंफ खाने पर बच्चा गौरवपूर्ण उत्पन होता है!
  • गर्भवती स्त्री 60 ग्राम ताजे अंगूरों का रस रोज दिन में 2 बार लेती है तो उसका शिशु बलिष्ठ, सुन्दर, और स्वस्थ उत्पन्न होता है! और बच्चे की माँ को होने वाली परेशानिया जैसे की सुजन, अफारा, कब्ज, मूर्छा, चक्कर आना, और दातों में दर्द होना जैसी तकलीफें नहीं होती है!
  • अगर स्त्री नित्य नाश्ते में आंवले का मुरब्बा खाती है तो बच्चे का रंग साफ़ व गोरा होता है और स्त्री भी स्वस्थ रहती है!