धात रोग और लिंग की कमजोरी का अचूक देसी इलाज Dhatu Rog Aur Ling Ki Kamjori Ka Ilaj Hindi Me

धात गिरने को ही घातु रोग कहते है, धातु रोग का अर्थ होता है के व्यक्ति के वीर्य का मूत्र के साथ निकल जाना, इसे ही धात रोग कहते है! धातु के गिरने को शुक्र-मेह ( Dhatu Girne ko Shukrameh bhi kahte hai) भी कहा जाता है!

धात गिरना- ये होता क्यों है? 

Dhat girna ka kya arth hai aur ye kyu aur kaise hota hai eski kya pahchan hai aiye jante hai hindi me.

धत रोग के लक्षण, उपाय, और देसी घरेलु उपाय

जब भी किसी पुरुष के मन में काम या सेक्स की भावना बढ जाती है! तो लिंग अपने आप ही कड़ा हो जाता है और उसका अंग  उत्तेजना की अवस्था में आ जाता है! इस अवस्था में व्यक्ति के लिंग से पानी के रंग के जैसी पतली लेस के रूप में निकलने लगती है! लेस बहूत कम होने के कारण ये लिंग से बाहर नहीं आ पाती है, लेकिन जब व्यक्ति काफी अधिक देर तक उत्तेजित रहता है तो ये लेस लिंग के मुहँ के आगे आ जाती है!



आज के युग में अनैतिक सोच और अश्लीलता के बढ़ने के कारण आजकल युवक और युवती अक्सर अश्लील फिल्मे देखते और पढते है तथा गलत तरीके से अपने वीर्य और रज को बर्बाद करते है! अधिकतर लड़के-लड़कीयां अपने ख्यालों में ही शारीरिक संबंध बनाना भी शुरू कर देते है!

जिसके कारण उनका लिंग अधिक देर तक उत्तेजना की अवस्था में बना रहता है, और लेस ज्यादा मात्रा में बहनी शुरू हो जाती है! और ऐसा अधिकतर होते रहने पर एक वक़्त ऐसा भी आता है! जब स्थिति अधिक खराब हो जाती है और किसी लड़की का ख्याल मन में आते ही उनका लेस (वीर्य) बाहर निकल जाता है, और उनकी उत्तेजना शांत हो जाती है! ये एक प्रकार का रोग है जिसे शुक्रमेह कहते है!

वैसे इस लेस में वीर्य का कोई भी अंश देखने को नहीं मिलता है! लेकिन इसका काम पुरुष यौन-अंग की नाली को चिकना और गीला करने का होता है जो सम्बन्ध बनाते वक़्त वीर्य की गति से होने वाले नुकसान से लिंग को बचाता है!

धात रोग का प्रमुख कारण क्या है? ( Causes of Discharge Weakness )

Dhat rog ka pramukh karan kya hai.

  1. अधिक कामुक और अश्लील विचार रखना!
  2. मन का अशांत रहना!
  3. अक्सर किसी बात या किसी तरह का दुःख मन में होना!
  4. दिमागी कमजोरी होना!
  5. व्यक्ति के शरीर में पौषक पदार्थो और तत्वों व विटामिन्स की कमी हो जाने पर!
  6. किसी बीमारी के चलते अधिक दवाई लेने पर 
  7. व्यक्ति का शरीर कमजोर होना और उसकी प्रतिरोधक श्रमता की कमी होना!
  8. अक्सर किसी बात का चिंता करना
  9. पौरुष द्रव का पतला होना
  10. यौन अंगो के नसों में कमजोरी आना
  11. अपने पौरुष पदार्थ को व्यर्थ में निकालना व नष्ट करना (हस्तमैथुन अधिक करना)

धात रोग के लक्षण क्या है? ( Symptoms of Discharge Weakness ) : 

Dhat Rog Ke Lakshan Kya Hai
मल मूत्र त्याग में दबाव की इच्छा महसूस होना! धात रोग का इशारा करती है! 
  1. लिंग के मुख से लार का टपकना!
  2. पौरुष वीर्य का पानी जैसा पतला होना!
  3. शरीर में कमजोरी आना!
  4. छोटी सी बात पर तनाव में आ जाना!
  5. हाथ पैर या शरीर के अन्य हिस्सों में कंपन या कपकपी होना!
  6. पेट रोग से परेशान रहना या साफ़ न होना, कब्ज होना!
  7. सांस से सम्बंधित परेशानी, श्वास रोग या खांसी होना!
  8. शरीर की पिंडलियों में दर्द होना!
  9. कम या अधिक चक्कर आना!
  10. शरीर में हर समय थकान महसूस करना!
  11. चुस्ती फुर्ती का खत्म होना!
  12. मन का अप्रसन्न रहना और किसी भी काम में मन ना लगना इसके लक्षणों को दर्शाता है!

धात रोग के आयुर्वेदिक उपाय ( Aayurvedic Remedies for Discharge Falling )

Dhat Rog Ka Ilaj Ayurvedic Tarike Se:
  • गिलोय ( Tinospora ) : धात रोग से मुक्ति प्राप्त करने के लिए 2 चम्मच गिलोय के रस में 1 चम्मच शहद मिलकर लेना चाहिए!
  • आंवले ( Amla ) :  प्रतिदिन सुबह के वक़्त खाली पेट दो चम्मच आंवले के रस को शहद के साथ लें! इससे जल्द ही धात पुष्ट होने लगती है! सुबह शाम आंवले के चूर्ण को दूध में मिला कर लेने से भी धात रोग में बहूत लाभ मिलता है!
  • तुलसी ( Basil ):  3 से 4 ग्राम तुलसी के बीज और थोड़ी सी मिश्री दोनों को मिलाकर दोपहर का खाना खाने के बाद खाने से जल्दी ही लाभ होता है!
  • मुसली ( White Asparagus Abscendens ):  अगर 10 ग्राम सफ़ेद मुसली का चूर्ण में मिश्री मिलाकर खाया जाए और उसके बाद ऊपर से लगभग 500 ग्राम गाय का दूध पी लें तो अत्यंत लाभ करी होता है! इस उपाय से शरीर को अंदरूनी शक्ति मिलती है और व्यक्ति के शरीर को रोगों से लड़ने के लिए शक्ति मिलती है!
  • उड़द की दाल ( Udad Pulses ) : अगर उड़द की दाल को पीसकर उसे खांड में भुन लिया जाए और खांड में मिलाकर खाएं तो भी जबरदस्त लाभ जल्दी ही मिलता है!
  • जामुन की गुठली ( Kernels of Blackberry ): जामुन की गुठलियों को धुप में सुखाकर उसका पाउडर बना लें और उसे रोज दूध के साथ खाएं! कुछ हफ़्तों में करने पर ही आपका धात गिरना बंद हो जायेगा!
  • कौंच के बीज ( Kaunch Seeds ): अगर आपका वीर्य पतला है तो 100 – 100 ग्राम की मात्रा में मखाने (Dryfruit) और कौंच के बीज लेकर उन्हें पीस कर उनका चूर्ण बना लें और फिर उसमे 200 ग्राम पीसी हुई मिश्री मिला लें!
    अब इस मिश्रण के रोज  (आधा) ½ चम्मच को गुनगुने दूध में मिलाकर पियें! इससे आपका जल्द ही बहूत अधिक लाभ मिलेगा!
  • शतावरी मुलहठी ( Asparagus Liquorices ) :  50 ग्राम शतावरी, 50 ग्राम मुलहठी, 25 ग्राम छोटी इलायची के बीज, 25 ग्राम बंशलोचन, 25 ग्राम शीतलचीनी और 4 ग्राम बंगभस्म, 50 ग्राम सालब मिसरी लेकर इन सभी सामग्रियो को सुखाकर बारीक पिस लें! पीसने के बाद इसमे 60 ग्राम चाँदी का वर्क मिलाएं और प्राप्त चूर्ण को (60 ग्राम ) सुबह-शाम गाय के दूध के साथ लें! 
ये उपाय पुराने से भी पुराने धात रोग को ठीक कर देता है!
Dhat rog me ye upay karne se purane se purana dhat rog bhi asani se thik ho jata hai.