COPD Cause Treatment COPD फेफड़ों के खतरनाक रोग की पूरी जानकारी और इलाज के सही देसी तरीके

सीओपीडी फेफड़ों की खतरनाक बीमारी होती है! जिसके कारण स्वास की नलिकाओं में सुजन आ जाती है और नलिकाएं सिकुड़ जाती है! नालिकाओ की सुजन लगातार बदती चली जाती है! जिसके कारण कुछ समय बाद फेफड़े छलनी हो जाते हैं! ऐसे स्थिति को एँफयज़ीमा (emphysema) भी कहते हैं!

इस रोग में साँस लेने में परेशानी आने लगती है जो धीरे धीरे शवसन तंत्र और क्रिया को प्रभावित करने लगता है!

रोग के लक्षण Symptoms of COPD

सीओपीडी स्वास नाली में सुजन के कारण साँस लेने की प्रक्रिया में कठिनाई बढ जाती है जिससे श्वास लेने की लंबाई कम होने लगती है! ऐसी स्थिति आने पर शरीर ओक्सिज़न ग्रहण उतनी तेजी से नहीं कर पता है जितनी जरूरत होती है! इसके कारण शरीर व खून में carbon-di-oxide की मात्रा बढ़ जाती है!

COPD होने के कारण और इलाज के असान और प्राकृतिक उपाय और देसी तरीके | COPD Cause And Treatment

फेफड़ों में जलन की वजह से श्वास नलिकाएँ पिचक जाती हैं!

इस खतरनाक रोग के कारण श्वास नलिकाओं में खिचाँव आ जाता है! जिसके कारण रोगी को साँस लेने में कठिनाई होती है! और घबराहट भी महसूस होने लगती है! यह लंबी समय तक चलने वाली बीमारी है! इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है! लेकिन इसे बढ़ने से रोका जा सकता है!

इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को सावधानी बरतनी चाहिए! किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए! इस रोग में रसोई में उठने वाले धुएं, मसालों की गंध गाड़ी के धुएं, पेट्रोल, केरोसिन के दुए से बचना चाहिए!

सीओपीडी के कारण (Causes of COPD in Hindi)

सीओपीडी होने के कई कारण हो सकते है लेकिन मुख्यतः ये अधिक धूम्रपान करने से होता है! इसके अलावा दूषित वातावरण में रहने से ये रोग हो सकता है! अधिक प्रदूषण, या वातावरण में किसी कीटनाशक का प्रयोग करने अथवा रंग रोगन के केमिकल्स को सांसो के जरिये अन्दर लेने से भी ये रोग हो सकता है!

सीओपीडी में लाभ देने वाली औषधियाँ (Ayurvedic remedies useful in COPD in Hindi)


  1. सीतोपलादी चूर्ण: यह हर तरह के साँस से सबंधित बीमारी के लिए लाभकारी है!  ये श्वास नलिकायों की सुजन और जलन को कम करते करने में सहयोग करती है और इसके प्रयोग से शरीर की रोग-प्रतिकारक क्षमता तेजी से बढती है!
  2. अडूसा (Adhatoda Vasica): ये श्वसन क्रिया में सहयोग देता है! और स्वसन तंत्र से संबंधित कई अन्य रोगों व संक्रमण को होने से भी रोकता है!
  3. मुलेठी: (Glycyrhiza Glabra): वैसे तो इसका इस्तेमाल सूखी खाँसी के उपचार के लिए किया जाता है! यदि कफ आसानी से नहीं निकलता है तो मुलेठी हर तरह के बलगम को निकालने में अधिक सहायक है
  4. अश्वगंधा: (Withania Somnifera):  इसके इस्तेमाल से शवसन तंत्र को ताकत मिलती है! ये थकावट और कमजोरी को भी दूर करता है!
  5. टंकण भस्म: इस भस्म का इस्तेमाल सीओपीडी रोग को ठीक करने के लिए किया जाता है! ये कफ को फेफड़ों से बहार निकलने में बहूत कारगर है!
  6. शृंग भस्म: इस भस्म का इस्तेमाल भी फेफड़ों में जमा कफ को शरीर बाहर करने के लिए किया जाता है! इस टंकण भस्म से बहूत अधिक ताकतवर होती है! ये छाती में गहरे तक जमे हुए कफ को निकालने में सक्षम है! इसके प्रयोग से छाती की दर्द, साँस लेने में तकलीफ महसूस होना जैसी समस्याएं दूर करता है! 
  7. यूकलिप्टस आयल (Eucalyptus oil): इसके इस्तेमाल से इस रोग में लाभ होता है! इसका प्रयोग नियमित किया जा सकता है! ये फेफड़ो में जमी हुई कफ की परत को बहार निकलने में सक्षम होता है!