टीबी की बीमारी का इलाज है: टीबी से बचाव के उपाय T.B Disease Safety

टीबी एक ऐसी बीमारी है जिसके हो जाने पर लोग छुपाने की कोशिश करते है, व्यक्ति सोचता है के अगर किसी को पता चल गया तो सब उससे दूर भागेंगे और कोई उसके पास नहीं आयेगा! टीबी से पीड़ित व्यक्ति अपने दोस्तों सहित सबसे छुपता है!

People generally try to keep hidden their T.B disease with their known. They thinks, their know will make distance with him if they know about about his disease.

हाल ही में टीवी पर एक प्रचार प्रदर्शित हुआ जिसमे फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन ने बताया के सन 2000 में उन्हें भी टीबी की बीमारी हो गई थी! उन्हे आश्चर्य हुआ के ये बीमारी उन्हे कैसे हो सकती है, फिर उन्होने उसका नियमित तरीके से इलाज कराया और तब से वो एकदम स्वस्थ है!

TB ki bimari aur bachav
 
पहले ये माना जाता था के टीबी गरीबो की बीमारी है! और ये अमीरों को नहीं होती लेकिन ये धारणा एकदम गलत साबित हो चुकी है, दिल्ली जैसे शहर में हाई सोसाइटी में रहने वालो में जो अच्छा खाते पीते है अच्छा पहनते है, क्या उन्हे भी इस बीमारी का संक्रमण हो सकता है? क्या टीबी अब गरीबो और अमीरों दोनों को हो सकती है?

क्यों और कैसे फैलती है टीबी की बीमारी

डॉक्टर्स रोगी को अपनी जीवनशैली बदलने की सलाह दे रहे है! ये एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, इसलिए हर वर्ग के व्यक्ति को इसे साधारण नहीं समझते हुए समझदारी से नियमित रूप से अपना इलाज करने में लापरवाही नहीं करनी चाहिए!

ट्यूबरक्युलोसिस एसोसिएशन के डॉक्टर्स का कहना है के वैसे तो इस रोग का मूल जीवनशैली नहीं है, लेकिन जो लोग मोटापे, मधुमेह, एड्स इत्यादी से पीडित है और गुटका, तम्बाकू और सिगरेट का सेवन करते है तथा भीड़ वाली जगहों पर रोजाना काम करते है! तथा जिन व्यक्तियों के शरीर में प्रतिरोधक श्रमता कम होती है व जल्दी संक्रमण का शिकार हो जाते है! ये सब वजह इस बीमारी को जीवन शैली से जोड़ रही है! इस प्रकार की जीवनशैली व दिनचर्या अपनाने वाले लोग टीबी का शिकार हो जाते है! Best treatment and cure of T.B is safety and healthy food. It is necessary to cure properly as directed by doctor .

टीबी एक जिद्दी बीमारी है एक बार हो जाने पर पूरी तरह ठीक होने में बहूत वक़्त लेती है इसमे किसी भी प्रकार की लापरवाही जानलेवा हो सकती है!अगर टीबी से ग्रसित व्यक्ति अपना एलाग समय रहते ठीक से नहीं कराता है तो वो एक हर साल 10 से 15 लोगो को संक्रमित कर सकता है! ये रोग किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकती है गरीब या अमीर या कोई भी आय वर्ग क्यों ना हो इससे नहीं बच सकता! एक दुसरे के संपर्क में आने के बाद किसी को भी ये बीमारी हो सकती है!

चेन्नई में स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ रिसर्च इन ट्यूबरक्युलोसिस की निर्देशिका सौम्य ने शूगर और टीबी को लेकर बड़ा खतरा जताया है, उनका कहना है के मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति को टीबीहोने का खतरा 3 गुना अधिक बढ़ जाता है! क्योकि शूगर व्यक्ति के शरीर की सुरक्षा प्रणाली और प्रतिरोधक श्रमता को नुक्सान पहुचकर कमजोर बना देती है!

ये जानकर समस्या के और भी खतरनाक होने का पता चलता है के भारत में मधुमेह बहूत तेजी से लोगो को अपनी गिरफ्त में लेती जा रही है, तथा ऐसे लोगो में टीबी शरीर की हड्डियों व तंत्रिकाओ को संक्रमित कर देती है! टीबी के बेक्टीरिया बड़ी आसानी से फेफड़ो को नुक्सान पंहुचा सकते है और उनका सबसे पहले हमला वही पर होता है! कमजोर शरीर में इसके बक्टिरिया आसानी से विकसित होने लगते है!

एक रिपोर्ट में विश्व स्वस्थ्य संगठन के अनुसार 2030 तक देश में लगभग 80 करोड़ लोग मधुमेह से पीडित होंगे! एमडीआर-टीबी पार्टनरशिप मीडिया फ़ेलोशिप प्रोग्राम में सौम्या ने कहा के अगर किसी बड़े समूह के लोगो के मोनेतो टेस्ट (टीबी का पता करने के लिए किया जाने वाला टेस्ट) इंजेक्शन के जरिये tubersiline त्वचा में डाल कर इसका प्रभाव देखा जाए तो तकरीबन १० में से 6 लोग इस बीमारी से ग्रसित पाए जायेंगे!

अक्सर टीबी की बीमारी कई बार टेस्ट करने पर भी पता नहीं चल पाती है, लेकिन इसका पता लगा लिया जाता है के टीबी के जीवाणु शरीर में आ चुके है! टीबी के कीटाणु बस में, रास्ते में, ट्रेन में, कैंटीन में, शौचालय में बाज़ार में कही भी किसी के जरिये खासने, थूकने, इत्यादी से हवा के जरिये आपके शरीर में प्रवेश कर जाते है और उसके बाद समय का इंतज़ार करते रहते है जैसे ही आपका शरीर कमजोर होता है ये बड़ी तेजी से सक्रिय हो जाते है और फ़ैल जाते है!

BLK सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल से जुड़े डॉक्टर विकास मौर्या का कहना है के तपेदिक (टीबी) के ऐसी बीमारी है के ये शरीर में प्रवेश के बाद चुप जाती है और प्रतिरोधक श्रमता के कमजोर होने का इंतज़ार करती है! ये शरीर में छुपकर कई सालो तक इंतज़ार करते है जब कभी मौका मिलता है ये अचानक सक्रिय हो जाते है!

गरीब या अमीर सभी इसकी चपेट में हमेशा रहते है, लम्बी अवधि तक छुपने की और लम्बे समय तक जीवित रहने की प्रतिरोध श्रमता को विकसित कर सकने की इन कीटाणुओं की श्रमता इन्हे कई गुना तेजी से कही भी फैलने में कारगर हुई है! इन सब को देखते हुए ये कहना के टीबी के जीवाणु लगभग हर जगह मौजूद है कहना गलत नहीं होगा, देश भर में लोगो की बिगडती जीवनशैली उन्हें बड़ी तेजी से इसकी गिरफ्त में लाती जा रही है!

टी.बी की बीमारी को कैसे रोका जा सकता है? -How To Prevent T.B Disease?

  • टी.बी. के कीटाणु हवा में 5 घंटे तक जीवित रहते है इसलिए सावधानी की अत्यधिक जरूरत है, टी.बी. के मरीज के हर सामान को अलग रखे और दूषित न छोड़ें.
  • साफ़-सफाई रखे
  • इधर-उधर थूके नहीं
  • मुह पर कपडा रख कर ही खासें

डॉक्टर वी.के अरोड़ा के कहना है : के टीबी के कीटाणुओ से बचने के लिए अपने शरीर को निरोग रखो, अच्छा साफ़ सुथरा भोजन ही खाओ, बहार का या बाज़ार का खाना खाने से बचना चाहिए, अगर आपको टीबी की पुष्टि हो गई है और डॉक्टर ने जाँच में लिख दिया है तो उसकी सलाह पर इलाज करवाए और नियम अनुसार दावा और भोजन नियम से बिना किसी रुकावट के लेना जरूरी है! इलाज बिना पूरा किये दवाई बंद न करे अन्यथा DMR टीबी होने की स्थिति हो सकती है जिसके इलाज में बहूत खर्चा आता है! तथा ये कष्टप्रद होता है!

डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन का कहना है : के मरीज का पहला इलाज चल रहा है तो ये तकरीबन 6 से 8 महीने चलता है! टीबी के इलाज के लिए सरकार ने डॉट्स नाम से कार्यक्रम चला रखा है जिसके कई केंद्र देशभर में गाँवो और शहरों में खुले है, या केंद्र मरीजो को डॉक्टर्स के सामने दवाई खिलाता है और ये सुनिश्चित करता है के रोगी सामने ही हर रोज दवाई खाए! प्रतिरोधक श्रमता जब तक अच्छी रहती है वो शरीर पर टीबी के कीटाणुओं को हावी नहीं होने देता है!