साईटोट्रोन: अर्थराइटिस का सफल इलाज- Arthritis Painful Disease Treatment in Hindi

Arthritis Disease:

बुढ़ापे में अक्सर लोग जोड़ो के रोग के चपेट में आ जाते है! अब ऐसे मरीजों के लिए साईटोट्रोन चिकित्सा ने उम्मीद ले आई है!

उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर के अंग बेवफाई करने लगते है! बुढ़ापे आने की सब से पहली निशानी शायद जोड़ो का दर्द है! उम्र बढ़ने के साथ ही लोग जोड़ो के दर्द से परेशान होने लगते है! बहुत से उपाय करने के बाद भी दर्द से निजात पाना मुश्किल होता है, परन्तु अब शल्य चिकित्सा विज्ञान में उपलब्ध तकनीको द्वारा इस रोग से छुटकारा पाना संभव है!


अब बिना शल्य चिकित्सा (सर्जरी) के ही साईट्रोन चिकित्सा से इस पर काबू पाया जा सकता है! बायो-एलेक्ट्र्रोनिक ऊतक के कारण घुटने के कार्टिलेज दुबारा भी विकसित हो सकते है, सब से बड़ी बात यह है की इस में रोगी को किसी प्रकार की तकलीफ का अनुभव भी नहीं होता है!

"Basically Arthritis means join inflammation and almost 200 types of rheumatic diseases and symptoms are seen which affects joints, those tissues that surrounding joints and connect each tissues with bodies other parts.Osteoarthritis is the most common type of arthritis disease."


वास्तव में आर्थराइटिस होता क्या है? What is Arthritis Disease?


इस सवाल पर कह सकते है की आर्थराइटिस जोड़ो में इस प्रकार की पीड़ादायक सुजन होती है, जो जोड़ो की बनावट भी बदल देती है! "Its a painful swelling in joints which affects on patients life and its change body structure also."  वैसे तो आम धारणा में आर्थराइटिस को वृद्धावस्था की बीमारी समझा जाता है, लेकिन मरीजो में यह 20 या 30 की उम्र में भी उत्पन्न हो सकती है, 45 व 50 साल के लोग अब अधिक मात्रा में इस बीमारी की चपेट में आ रहे है, आज लगभग 10 करोड़ भारतीय ओस्टियो आर्थराइटिस से पीड़ित है, यह आर्थराइटिस का बहुत ही साधारण रूप है जो बिमारी को बढ़ने का एक प्रमुख कारण भी है!

शोध यह दर्शाते है की ऐसे युवक जिन का वजन अधिक होता है उन को बढती उम्र के साथ ओस्टियो आर्थराइटिस होने की आशंका भी अधिक होती है, अधिक वजन होने के कारण जोड़ो में विकार की समस्या ज्यादा बढ़ जाती है, जो आर्थराइटिस की बढ़ावा देती है! रोगी चाहे किसी भी प्रकार के आर्थराइटिस से क्यों न पीड़ित हो, वह अपने रोजमर्रा के कार्य जैसे साइकिल चलाना, चलना-फिरना, गोल्फ खेलना, सफ़र करने आदि में असमर्थ हो जाता है, इसलिए शायद ओस्टियो आर्थराइटिस से रोगी अपने आप को वृद्ध महसूस करते है, चाहे वह अपनी युवावस्था में ही क्यों न हो!

यह भी सच ही है की 65 वर्ष में प्रत्येक 3 औरतों में से 2 औरतें आर्थराइटिस से पीड़ित होती है जब की 65 वर्ष के आदमियों में से आधे आदमी ही इस का शिकार होते है!

सीबिया मेडिकल सेंटर लुधियाना के निदेशक और देश के जानेमाने चिकित्सक डॉक्टर एस. एस. सीबिया कहते है की आर्थराइटिस एक मामूली से दर्द के रूप में शुरू हो सकता है मगर सही समय पर जाँच व उपचार के अभाव में यह एक विकार भी बन सकता है! मोटे लोगो में आर्थराइटिस की बिमारी उत्पन्न होने की अधिक आशंका होती है क्योंकि उन के जोड़ो पर अधिक दबाव पड़ता है! खासकर घुटनों व हिप के जोड़ो पर प्रभाव पड़ता है जहा पर दर्द व चोट का सब से पहला असर दिखाई देता है! भोजन के मूल कारण, आर्थराइटिस व गठिया आर्थराइटिस के बीच में कोई प्रमाणिक सम्बन्ध नहीं है! जोड़ दर्द के रोगियों को अपने वजन पर नियंत्रण रखना चाहिए क्योंकि अधिक वजन उठाना उन की पीड़ा को बढ़ा देता है!