कैंसर के इलाज के उपाय और दिल के रोग की समस्या

कैंसर एक बहूत ही गंभीर रोग है, वैसे दुनिया भर में इस पर कई शोध हो चुके है! हाल में ही किये गए एक नए शोध के मुताबिक बच्चो को होने वाले कैंसर का सफलतापूर्वक इलाज अधिक संभव हो गया है! वर्ल्ड कैंसर डे (4 February) के मौके पर आज आपको इसके बारे में कुछ जरूरी जानकारी लेते है.

हमारे देश में इस बीमारी से लगभग 3 से 4 प्रतिशत संख्या बच्चो की है! और लगभग 40 से 50 हज़ार नए मामले हर साल देखने को मिल रहे है! मन जाता है के अत्यधिक तेजी से गावों का औध्योगिकरण और अत्यधिक मात्र में तकनीक का विस्तार इसके बढ़ने की वजह है!

देश में बच्चो में मुख्यतः निम्न 3 प्रकार के कैंसर देखने में आते है-
  • लुकेमिया और लिम्फोसिस
  • ब्रेन में ट्यूमर
  • केंद्रीय नाडी तंत्र प्रणाली से सम्बंधित कैंसर
लेकिन अभी ताजे आंकड़ो के अनुसार बच्चो में आंख के कैंसर ज्यादा देखने में आ रहा है!

बच्चो के कैंसर का इलाज संभव है?

मौजूदा समय में बच्चो के लगभग 70 से 90 प्रतिशत कैंसर का इलाज संभव हो चूका है! लेकिन इसका इलाज लम्बा चलने के कारण उम्र बढ़ने के साथ 30 साल की उम्र में ही दिल की बीमारियों का खतरा भी उन बच्चो को होने की आशंका बढ़ जाती है! एलिए डॉक्टर्स हिदायत देते है के इलाज होने के बाद भी विशेष सावधानी रखे और नियमित रूप से व्यायाम और योगा मुख्य रूप से करते रहना चाहिए! नशीले पदार्थो जैसे पान मसाला, बीडी, सिगरते, शराब इत्यादी के सेवन से दूर ही रहना हितकारी होगा!

कैंसर का क्या उपचार है?


नए शोधो के अनुसार कैंसर के सफल उपचार कीमोथेरेपी और रेडिएशन बिकार्डियो टॉक्सिक है! डॉक्टर्स का कहना है के कैंसर के इलाज में दी जाने वाली दवाओ से दिल की मॉस पेशियों में कमजोरी आ जाती है! जो रेडिएशन थेरेपी कार्दिअक रीदम डिसऑर्डर और वाल्व की आकार और संरचना को नुक्सान पहुचाता है!

इन मामलो में ये जरूरी है के डॉक्टर को ज्यादा सेंसिटी और रिस्क वाले मरीजो की बारीकी से पहचान करके उनकी ठीक प्रकार से विशेष निगरानी करनी चाहिए, जिससे के उनके दिल की तमाम समस्याओ दुरुस्त और कम किया जा सके!

आंकड़ों के अनुसार
  • देश के 4 प्रतिशत बच्चे कैंसर की बीमारी से पीड़ित है!
  • हर साल लगभग 50 हज़ार नए लोग इससे पीड़ित होते है!
  • लगभग 90 प्रतिशत कैंसर का इलाज संभव है बचपन में!
  • 30 साल की उम्र में ही दिल के रोग का खतरा होता है कैंसर से निजात प् चुके लोगो में!

अन्य बीमारियों की आशंका

चूँकि इस बीमारी के इलाज की वजा से भविष्य में दिल पर पड़ने वाले असर को रोका नहीं जा रक्त है लेकिन नियमित रूप से सावधानियो को अपना कर इसके पड़ने वाले असर को थोडा कम किया जा सकता है! और इसकी वजह से किसी दूसरी बीमारी के होने की आशंका को भी कम किया जा सकता है अन्यथा ये कभी भी गंभीर रूप ले सकती है!

ये जरूरी है के इलाज के तमाम रिकार्ड्स को क्रमबद्ध करके सही प्रकार से संभल कर रखा जाए! और अगर परिवार के किसी शख्स को पूर्व में या वर्तमान में शूगर (डायबीटीज) या ब्लड प्रेशर है तो इसके बारे में अपने डॉक्टर को जरूर बताये तथा समय समय पर डॉक्टर से परामर्श लेते हुए चेक-अप कराते रहना चाहिए!

कैंसर के इलाज के बाद कौन कौन सी सावधानी जरूरी है?

यदि बच्चे के कैंसर का इलाज में करवा चुके है तो आगे चलकर उसके हर असामान्य बर्ताव या हरकत पर नजर रखना जरूरी होता है जैसे के -
  • अनियमित छाती में दर्द
  • सांस फूलना
  • पसीना स्धिक आना इत्यादी 
समस्याए कभी नाजर अंदाज नहीं करे ऐसा होने पर उसे तुरंत मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराये और डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए!

भोजन में क्या खाना चाहिए?

जरूरी है के संतुलित आहार ही ले बाजार के बने तेल में किसी भी पदार्थ को खाने से बचे, और बाजार या होटल में नहीं खाए, शराब, या सिगरेट को न पिए, तनाव का त्याग करे, वासा युक्त भोजन से बचे! हमेशा खुश रहने की कोशिश करे!
खाने निम्न बातो का पालन करे-
  • इन्हे नहीं खाना चाहिए- सैचुरेटेड फैट, मीट, मक्खन, बिस्कुट, पैक्ड केक्स, पनीर इत्यादी नहीं खाए!
  • सिमित मात्रा में खाए- आलू, मीठा और नमक,फ्रूट ड्रिंक्स और कार्बोहायड्रेट से युक्त भोजन कम ही खाए!
  • अधिक मात्र में खाए- हरी पत्तेवाली सब्जिया, ताजे फल, बीन्स, फिबर युक्त अनाज, मछली, पोल्ट्री ये प्रोटीन से भरपूर होते है इन्हे खाना चाहिए!

 

शराब और तम्बाकू का त्याग करे

धुम्रपान और इसके धुएं से बचे, शराब का सेवन दिल के लिए अच्छा नहीं होता है! इसलिए कैंसर का इलाज करवा चुके व्यक्ति को इससे दूर ही रहना चाहिए इसका सेवन उनके लिए बहूत खतरनाक हो सकता है! फेफड़ो की कर्यश्रमता पर भी असर पड़ता है! जिससे कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है!

दिल के रोगों से बचा जा सकता है!


दिल और कैंसर के रोग एक दुसरे से जुड़े है! इसलिए संतुलित जीवन और संतुलित आहार जरूरी है! इसके जरिये सेहत और शरीर दोनों तंदरुस्त रहती है! भविष्य में होने वाली दिल के रोगों से बचा जरूर जा सकता है! जरूरत है नियमित होने की और रोग के प्रति सजग और जागरूक रहकर जीवनशैली में उचित बदलाव लाने की!