उच्च रक्तचाप से बचाव और उपचार- High Blood Pressure, Dil Ki Bimari Ka Karan Upay Hindi Me

स्वस्थ के लिए बड़ा खतरा है दिल की बीमारी

उच्च रक्तचाप ऐसा रोग है जिसे नियंत्रित करना बेहद जरूरी होता है! नियमित परहेज और दवाओ के सेवन से इस रोग के भयानक परिणामो से बचा जा सकता है!

ह्रदय के बाये भाग से पम्प किया जाने वाला रक्त पूरे शरीर मेंफैली धमनियों (आर्टि) में प्रवाहित होता है और रक्त प्रवाह के साथ धमनियों की दीवारों पर उत्पन्न होने वाला दबाव या प्रेशर ही रक्तचाप कहलाता है! ह्रदय सिस्टोलिक (सिकुडन) की अवस्था में उत्पन्न होने वाला दबाव सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और ह्रदय की डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर कहलाता है!

हार्ट डिजीज में ब्लड प्रेशर कैसे नापे

एक सामान्य व्यक्ति में सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 140 मि.मि मरकरी से कम होता है और डास्टोलिक ब्लड प्रेशर 90 मि.मि. मरकरी से कम होता है! अर्थात एक स्वस्थ व्यक्ति का सामान्य ब्लड प्रेशर के बढ़ने की अवस्था को ही ब्लड प्रेशर कहते है और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर के 140/90 से कम होना चाहिए! सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर के 140 मि.मि. मरकरी से ऊपर जाने पर उसे सिस्टोलिक और 90 मि.मि. से ऊपर जानेपर उसे डायस्टोलिक ब्लड प्रेशरबढ़ने की अवस्था को कहते है! किसी भी व्यक्ति में इन में से कोई भी एक बढ़ सकता है! या फिर दोनों ही प्रेशर साथसाथ बढ़ सकते है! इन सभी को उच्च रक्तचाप या High Pressure भी कहा जाता है!

व्यक्ति के स्वस्थ के लिए उस के रक्तचाप का सामान्य होना जरूरी है! रक्त-चाप के बढ़ने पर ह्रदय पर दबाव पड़ता है और शरीर के विभिन्न महत्वपूर्ण अंगो पर उस का बुरा असर पड़ता है! जब कभी ह्रदय पम्पिंग श्रमता कम या अधिक हो जाती है, ह्रदय के वाल्व में खराबी हो, दिल से निकलने वाली बड़ी धमनियों में अवरोध हो या शरीर के पूरे धमनी में अवरोध हो या शरीर के पूरे धमनी तंत्र में नालिया सुकुड गई हो और रक्त का प्रवाह असामान्य हो, तो रक्त-चाप बढ़ने लगता है!

शरीर में कुछ विशेष अन्तः स्रावी ग्रंथियो इस निकलने वाले हार्मोन भी हार्ट प्रेशर बढाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है! गुर्दे या उन की धमनियों में बीमारी होने पर भी रक्तचाप बढ़ जाता है! ऐसे ब्लड प्रेशर को "रीनल ब्लड प्रेशर" कहते है!

वैसे दिल की बीमारी किसी भी अवस्था में, बच्चे, जवान, अधेड़ या वृद्ध किसी को भी हो सकता है! पर आमतौर पर High Blood Pressure की बीमारी 40 साल की उम्र के ऊपर के व्यक्तियों में अधिक होती है पिछले 2-3 दशको में लोगो के जीवनशैली में व खानपान में तेजी से गलत खानपान आया है और साथ ही तनावपूर्ण जीवनशैली और दिनप्रतिदिन बढ़ने वाली ऐश्वर्यपूर्ण जीविका ने लोगो में इस बीमारी को बढाने में बड़ी भूमिका निभाई है!

उच्च रक्त-चाप की जाँच कैसे करे? How to Check High Blood Pressure?

उच्च रक्त-चाप की जाँच निम्न तरीको से की जाती है-
  • रक्त और पेशाब की सामान्य जाँच
  • लिपिड प्रोफाइलब्लड युरीया और क्रियेटीनीन
  • ब्लड शूगर
  • सीरम प्रोटीन
  • E.C.G. एवं ह्रदय की जाँच 

High BP वाले दिल के मरीजो का खान पान कैसा हो?

  • शराब, तम्बाकू,सिगरेट एवं पान मसाले का सेवन न करे!
  • खद्य पदार्थो में नमक का सेवन बहुत कम करे
  • खाने में अधिक वासा का प्रयोग न करे, विशेषकर सेचुरेटेड फैट का सेवन न करे! सरसों का तेल एक अच्छा विकल्प है!
  • खाने में रेशेदार खाध्य पदार्थ तथा हरी सब्जियों का अधिक सेवन करे!

रोगी की जीवनशैली कैसी हो?

तनाव पूर्ण, भागदौड़ भरी और थकने वाली जीवन-शैली के स्थान पर संतोषपूर्ण व्यवस्था अपने और नियमित रूप से 6-8 घंटे की नींद अवश्य पूरी करे! नियमित रूप से हल्का व्यायाम जरूर करे या सुबह के शुद्ध वातावरण में 30-40 मिनट गहे और चलने की आदत विकसित करे! घर के छोटेमोटे कार्यो में श्रमदान करने से सामूहिक भावना का विकास होता है और श्रम की आवश्यकता भी पूरी हो जाती है!

उच्च रक्तचाप की दवाए

आधुनिक चिकित्सा जगत में इस बीमारी की अच्छी दवाए उपलब्ध है पर उन का प्रयोग डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए! आमतौर पर ब्लड प्रेशर नियंत्रित होने के बाद लोग दवाए लेना बंद कर देते है पर ऐसा करना स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हा! इन दवाओ को डॉक्टर की सलाह से ही घटना और बढ़ाना चाहिए!

सुकून भरी पूरी नींद, संतुलित पौष्टिक आहार, नियमित दिनचर्या और हल्का-फुल्का व्यायाम करते रहने से बहूत फायेदा होता है! बच्चो में एवं परिवार में पनप रही 'फ़ास्ट फ़ूड' संस्कृति ने इस रोग को बढ़ने में बहूत बड़ा योगदान दिया है! इस बीमारी पर नियंत्रण की बहूत जरूरत है!

उच्च रक्त चाप के कारण

  • मोटापा- अधिक मोटे व्यक्तियों में इसके होने की आशंका बनी रहती है!
  • नमक का सेवन- अधिक नमक का प्रयोग भी इस दिल की बीमारी को बढ़ावा देता है!
  • कुछ अन्य तत्व- पोटेशियम, कैल्शियम, मैगनीशीयम, आदि ऐसे कुछ तत्व है जो अपना रोल इस रोग को बढाने में सहायक है!
  • शराब- शराब के सेवन से भी रक्त चाप बढ़ता है!
  • गर्भनिरोधक पिल्स- इनके नियमित या अधिक खाने पर भी दिल पर दबाव बढ़ता है और कुछ मामलो में जनेटिक कारण भी हो सकता है!

उच्च रक्त-चाप के नुक्सान

  • हार्ट अटैक- Heart Attack
  • हार्ट फेलियर- Heart Fail
  • गुर्दा रोग और गुर्दा फेलियर
  • शरीर के संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण अंगो पर दुष्प्रभाव, जिस में आँख और मस्तिष्क शामिल है, आंख की रेटिना पर इस का गलत असर हो सकता है और लकवा आदि रोग भी हो सकता है!