H1N1 स्वाइन फ्लू से बचाव के उपाय- How to Control Swine Flu?

 वैसे तो समय बदलने पर या सर्दिया आने पर सर्दी जुखाम होना लोगो में आम बात हो गई है! और एक सामान्य संक्रमण को आसानी से ठीक किया जा सकता है! लेकिन बात जब स्वाइन फ्लू की हो तो हमें सावधान रहने की जरूरत है!

स्वाइन फ्लू से घबराये नहीं जरूरत है सावधानी की

उन व्यक्तियों को तो खास ध्यान की जरूरत होती है जो पहले से ही किसी रोग से जूझ रहे हो! भारत में स्वाइन फ्लू सन 2015 से सक्रिय है, विश्व स्वस्थ्य संगठन ने 11जून 2009 को ही इस बीमारी को महामारी घोषित किया है! पिछले 1 वर्ष में स्वाइन फ्लू के लगभग 33000 मामले दिखाई दिए जबकि लगभग 2000 लोगो की जान गई! इसलिए सरकार ने सभी अस्पतालों को सतर्क रहने के लिए कहा है!

एच1एन1 क्या है?

एच1एन1 एक तरह का वायरस है और इसे स्वाइन फ्लू भी कहा जाता है! इस बीमारी को स्वाइन फ्लू नाम इसलिए दिया गया क्योकि संक्रमित सूअर के संपर्क में आने के कारण हुआ ही मानव को पहली बार हुआ! हाल के रिसर्च से पता चला है के शरीर में आईएफटीआईएम 3 नाम के जीन के शरीर में उपस्थिति और उसकी मात्रा से ही कोई क्यक्ति स्वाइन फ्लू से ग्रसित होता है! इसी कारणवश कुछ लोगो में ये सामान्यत स्थिति में ही अपने आप ठीक हो जाता है! जबकि कुछ लोगो में परेशानी का कारण बन जाता है!

अब इस बीमारी से परेशान होने की वैसे तो जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी सचेत रहना जरूरी है! यह रोग अब पहले की तरह भयानक नहीं रह गया है और यह किसी मौसमी संक्रमण के सामान ही रह गया है!

इसके फैलने के कारण? How Swin Flu Viral Flow?

यह संक्रमण भी कई अन्य रोगों की तरह हवा के जरिये फैलता है! इसकी चपेट में लोग आसानी से आ जाते है! अगर किसी व्यक्ति को येबीमारी है तो उसके जरिये संक्रमण दूसरो को भी फ़ैल सकता है, छीकने, खासने से, संक्रमित व्यति के इस्तेमाल किये हुए चीजो को छूने, थूकने या खाने से  इसके वायरस हवा के जरिये दुसरो में फ़ैल जाते है!

स्वाइन फ्लू के लक्षण 

इस रोग में संक्रमित व्यक्ति को बुखार होना, रुक-रुक कर खासी का आना, सिरदर्द, शरीर में जकडन,ऐंठन, नाक बहना, गले में दर्द होना जैसे प्रमुख लक्षण रोगी में देखने को मिलते है! इस रोग के मरीजो को 3 श्रेणियों में बनता गया है!
  • श्रेणी A- इसमे रोगी को गले में दर्द होना, बदन में ऐंठन, जुखाम, डायरिया  और हल्का बुखार होना जैसी समस्याएँ होती है! एन रोगियों को 24 से 48 घंटे के लिए निगरानी में रखा जाता है! इनमे वायरस की जाच की जरूरत नहीं की जाती है!
  • श्रेणी B- इन रोगियों में A श्रेणियों के सरे लक्षण होते है और तेज बुखार की शिकायत होती है! मरीज गंभीर संक्रमण से ग्रसित होता है! जिससे स्थिति गंभीरबन जाती है!
  • श्रेणी C-इस श्रेणी के रोगी में A और B दोनों श्रेणियों के लक्षण नजर आते है और मरीज को छाती में दर्द, सास लेने में परेशानी महसूस होती है, ब्लड प्रेशर कम हो जाता है, खासी में खून की शिकायत होती है, रोगी के नाख़ून नीले पड़ जाते है और रोगी को जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है! 
H1N1 स्वाइन फ्लू अन्य दूसरी बीमारियों के होने की वजह भी बन सकता है- जैसे फेफड़ो में संक्रमण, निमोनिया और दूसरी सन की बीमारी और आना समस्याए रोगी की स्थिति को खतरनाक बना सकती है! शूगर और अन्थमा के रोगियों को अगर ये संक्रमण हो जाए तो व्यक्ति की हालत बहूत ख़राब हो सकती है!  यदि किसी क्यक्ति  को श्रेणी सी के मिलते ही लक्षण दिखाई दे दो उसे तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए!

स्वाइन फ्लू की जाँच? 

Swin Flu का पता करने के लिए आरटीपीसी (RTPC) टेस्ट और वायरस कल्चर तकनीक से किया जाता है, इसके जाँच की सुविधा लगभग सभी बड़े अस्पतालों में उपलब्ध है! इसमे सिर्फ उन्ही रोगियों की जाँच होती है जो अधिक पीड़ित या जिन्हें अधिक आवश्यकता होती है तथा जो रोगी अधिक संक्रमण की वजह से भर्ती है या उनकी जान का खतरा है!

किनकी जाँच जरूरी है?

  • उन बच्चो की जिनकी उम्र अभी पांच वर्ष या उससे कम हो
  • अधिक उम्र के लोग को 65 वर्ष या उससे अध्कि उम्र वाले है
  • गर्भवती महिलाये
  • कमजोर और अधिकतर बीमार रहने वाले व्यक्ति
  • वो रोगी जिनकी प्रतिरोधक श्रमता कमजोर है
  • रोगी की जाँच करने वाले डॉक्टर्स और नर्स

Swin Flu (स्वाइन फ्लू) को फ़ैलने से कैसे रोके

  • लोगो को अधिक भीग वाले स्थानों पर एकत्र नहीं होना चाहि! संभवहो तो मास्क लगा के रखे इससे कई रोगों से बचाव होगा!
  • मुह पर रुमाल रखकर ही छिके या खासें!
  • शरीर के अंगो नाक, मुह, आँखों को बार बार हाथ न लगायें!
  • अगर किसी व्यक्ति पर स्वाइन फ्लू होने का संदेह है तो कम से कम 24 घंटे तक उससे संपर्क रखने से बचे!
  • रोजाना नियमित रूप से हाथ मुह धोये!